भारत के संत

पांडूरंग शास्त्री आठवले ‘’दादाजी’’

श्वेत क्रान्ति के प्रणेता प.पू.पांडुरंग शास्त्री आठवले एवं स्वाध्याय कार्य: पांडुरंग शास्त्री आठवले एक ऐसा नाम है, जिन्होंने भगवद गीता के विचारों की सिद्धि के द्वारा न केवल हिंदुस्तान, बल्कि पूरे विश्व के लोगों को स्वाध्याय कार्य के द्वारा एक श्वेत क्रांति का सन्देश दिया, और आज के स्वार्थी जमाने में लाखों लोगों को बिना स्वार्थ कार्य करने के लिए ...

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शिर्डी के साईं बाबा

शिर्डी के साईं बाबा

भगवान ने जब इस पृथ्वी की रचना की तब उन्होंने यह कभी नहीं सोचा होगा की उसकी ही संताने उन्हीं को धर्म के नाम पर बांट के आपस में इतनी क्रूर हो जाएगी कि एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो जाएगी। गॉड यानि ईश्वर अल्लाह, हम जो भी मानते है आखिर एक ही तो है। GOD का अर्थ ...

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श्रीमद आदि शंकराचार्य

भारतीय संस्कृति में जिनका नाम आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है, ऐसे माँ भारती के एक महान दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य जी है। जिन्होंने भारतीय संस्कृति के अद्वैत और वेदांत को मूलभूत आधारों के साथ समाज के सामने पेश किया। उस काल की समाज में चल रही विविध विचारधाराओं का उन्होंने एकीकरण करके उसे वेदांत और ...

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सहजानंद स्वामी (भगवान स्वामिनारायण)

विश्व में जगत गुरु बनकर आज हिन्दुस्तान उभर रहा है। किंतु यह बात तो हजारों साल पहले हमारे ऋषि मुनियों ने वेदों में बताई थी। वसुदेवसुतं देवं कंस चाणुरमर्दनम, देवकी परमानन्दं कृष्णं वंदे जगतगुरुम्। मतबल की आज से पांच हजार साल पहले यह बात की गई है। मगर देखा जाए तो क्या यह बात हमारे देश में गली मोहल्लों में ...

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संत कवियत्री मीराबाई

संत कवियत्री मीराबाई

वेदों में कहा गया है शुचिनाम श्रीमंताम गृहे योग भ्रष्ट जीव ही जाता है। गीता के कर्म के सिद्धांत के अनुसार कर्म फल के अनुरूप ही जन्म मिलता है। लेकिन इनमें अपवाद रूप ऐसे हमारे ऋषि मुनि भी है, क्योंकि वो तो समाज की जागृति की जरूरत के मुताबिक इस धरा पर भगवान का काम करने के लिए आए हुए ...

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संत ज्ञानेश्वर

हमें आयुष्य कितना मिला है, या हम कितने साल जिये यह बात महत्वपूर्ण नहीं है, किंतु हम जितने भी साल जिए उतने सालों में कितना जिए और कैसे जिए यह महत्वपूर्ण है। कौनसा ऐसा काम करके गए जिनसे आगे हमें लोग याद रखेंगे यह बात ज्यादा मायने रखती है। कहते है अगरबत्ती, धूप, दिया, बाती, फुल इन सबकी आयु बहुत ...

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संत तुकाराम महाराज

भारत की भूमि वैसे भी संत महापुरुषो की धरा है। प्रयोगशाला में अगर प्रयोग करना है तो उसके अनुकूल वातावरण बनाना पड़ता है। वैसे ही अगर सुप्रीम पावर को भी अपना कोई भी  प्रयोग करना है तो उसके अनुकूल  वातावरण और धरा भी मिलनी  चाहिए। वो शायद भारत के अलावा इस भू तल पर कही नहीं है। क्योंकि, यही सृष्टि ...

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संत रैदास/रविदास

खळ खळ अविरल बहती नदियों में, गंदा पानी कभी नहीं भरता। नाहीं उसमें से कभी दुर्गंध आती है। शायद इसी वजह से गम में या दुखो में डुबा हुआ इंसान, अगर बहती नदी या सागर के किनारे जाकर बैठता है, तो वह अपना दर्द भूल जाता है। कुदरत के पास यही तो खासियत है कि, उसके पास निस्वार्थ भाव से ...

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संत तुलसीदास

जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है, और वो भी जब भारत जैसी हो। जो मस्तक पर लगते ही पवित्र कर देती है। शायद इसीलिए जनेऊ बदलते समय यही मिट्टी माथे पर लगाकर यही प्रार्थना करते हैं कि मेरे पापों का निर्मूलन करो। क्योंकि इसी धरा पर राम और कृष्ण ने अवतार लिया है। जिस धरा की संस्कृति बचाने ...

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संत एकनाथ महाराज

समाज में जब जब भ्रांत और पंगु भक्ति अपने पैर पसारने लगती है, तब-तब उस काल में धर्म और भक्ति को बचाने के लिए लिए भगवान किसी न किसी रुप में अवतरित होते हैं। जब तक काम उनके संत या ऋषि मुनियों से हो जाता है, तब तब उन्हीं के माध्यम से अपना काम सही करा लेते है। उस वक्त ...

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