बदलते रहने का सबक…..यानि वक्त…..

हर किसी के जीवन में समय का खास महत्व है यह एक ऐसी चीज है जो मनुष्य के जीवन में रत्न के सामान है। कहते हैं कि, कठिन समय में समझदार व्यक्ति रास्ता खोजता है और कायर व्यक्ति बहाना। आज के जमाने में अगर कोई कहे कि मैं जयादा व्यस्त हूँ, तो समझ लेना कि वह व्यक्ति व्यस्त नहीं बल्कि अस्त-व्यस्त है। कई बार जिन्दगी जीते जीते हमें लोग यह कहते हैं कि, मेरा अच्छा समय आएगा तो में यह काम करूँगा, वह काम करूँगा, लेकिन जहां तक समय की बात है, वो तो हमेशा अच्छा ही होता है, बुरा तो मनुष्य का कर्म होता है।

जो व्यक्ति समय की कीमत, इज्जत करता है, समय हमेशा उसकी कीमत और इज्जत करता है। आज समाज में ऐसे कई लोग हैं जो सब कुछ करते हैं पर उनके लिए समय की कोई कीमत ही नहीं है। हमारे देश के बारे में एक खास शब्द है, इंडियन टाइम्स, और लोग उसका मतलब यही समझते हैं कि, इंडियन टाइम मतलब देर से आना। आज हम लोग रेलवे, हवाई जहाज, बस जैसी सवारी हमेशा करते रहते हैं, और हम सबको यह अनुभव है कि, आधा घंटा या एक घंटा देरी से चलने के लिए किसी को भी कोई तकलीफ नहीं है। किसी ने मुझे पूछा कि आज के जमाने में अपना कौन है? मैंने हँसते हुए उत्तर दिया कि, समय, सिर्फ समय ही अपना है, अगर समय ठीक होता है, तो सब अपने हैं वरना कोई भी अपना नहीं होता।

एक घड़ी हमें बहुत कुछ सीख देती है। घड़ी का सबसे बड़ा गुण है, निरंतर बदलते रहना। आज समाज में जो समस्या है, वह अपने निजी विचारों या कर्मों को नहीं बदलने वजह से है। लोग चाहते ही नहीं कि उसकी रोज-बरोज की कोई प्रक्रिया में बदलाव आए। ऐसे में घड़ी ही यह ज्ञान देती है कि जो बदलता नहीं वो हमेशा पीछे रह जाता है।

अगर हम जीवन में आगे बढ़ना चाहते है, कुछ हासिल करना चाहते है तो अनिवार्य है कि हम समय की कीमत को समझे। दुनिया के सबसे बड़े रइसो में से एक, वोरेन बफेट ने कहा है कि, “अमीर लोग हमेशा समय पर निवेश करते हैं, और गरीब पैसों पर।” यहाँ पर अमीर या गरीब व्यक्ति नहीं लेकिन उसकी सोच है। हमारे समाज में सफलता के लिए एक सूत्र दिया हुआ है, सही काम करे, सही तरीके से करे और सही समय पर करेय्। हर मनुष्य के पास 24 घंटे का ही समय है, फिर भी कई लोगों को यह समय कम लगता है, और कई लोगों को ज्यादा। हर किसी को भगवान के दिए हुए इस 24 घंटे के समय में ही अपनी जिन्दगी जीनी है, अपना नौकरी-धंधा, सामाजिक व्यवहार, कौटुम्बिक व्यवहार, धार्मिक प्रक्रियाएं और आनंद-प्रमोद, यह सब कुछ हर व्यक्ति को दिए गए समय में ही करना है। नरेंद्र मोदी के पास भी 24 घंटे का समय है, अमिताभ बच्चन के पास भी 24 घंटे का, सचिन तेंडूलकर के पास भी 24 घंटे का, वोरेन बफेट के पास भी 24 घंटे का और हमारे पास भी वहीं 24 घंटे का समय है। फर्क सिर्फ यह है कि हम कैसे इस 24 घंटे को मैनेज करते हैं।

हमारे वैश्विक ग्रन्थ, फ्भगवद् गीताय् में भगवान योगेश्वर ने मनुष्य के तीन योग के बारे में बात की है, ‘कर्म योग’ मतलब की आत्मनिर्भर एवं इच्छा, ‘ज्ञान योग’ मतलब विवेक और विचार, और अंत में ‘भक्ति योग’ यानी परिकल्पना एवं मूल संस्कार। यह तीन बातें मनुष्य को अपने जीवन में प्रस्थापित करनी है, और उसको प्रस्थापित करने के लिए चाहिए, समय का प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट)। लोग कहते है कि, मेरे पास बिलकुल समय नहीं है तो मैं भगवान की पूजा-अर्चना कब करूँ? मैं योगासन कब करूँ? ऐसे लोगों को जब समय का प्रबंधन करना हो तब देश और विश्व के बड़े लोगों को सामने देखना पड़ेगा। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर से एक बार एक टीवी चौनल ने इंटरव्यू में पूछा कि आप की दिनचर्या क्या है? तब सचिन ने बताया कि, मैं हर रोज सुबह में उठकर सबसे पहलेे ग्राउंड में जाकर 500 गेंदों के साथ खेलता हूँ, और उसके बाद ही में मेरी सब निजी क्रिया, इसके बाद अखबार पढ़ना, मोबाइल को देखना आदि यह सब काम करता हूँ। सचिन आज भी ऐसे ही अपनी जिन्दगी मैनेज करते हैं। और हम?— लेकिन आज के समय में सभी को सबसे पहले उठते ही मोबाइल फोन चाहिए कि देखें तो सही किसने, क्या-क्या भेजा है। लेकिन सच्चाई तो यही है कि कुछ नहीं होता, कितना भी मोबाइल देख लें, अलग-अलग फूल वाले मैसेज ही दिखाई देंगे। फेसबुक में कितना भी लाइक मिल जाये, कोई फायदा नहीं है। यह सब समय को बर्बाद करने वाले साधन है। ऐसा नहीं है कि मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, लेकिन इसका उपयोग सीमित मात्र में और जरूरत के हिसाब से करना चाहिए।

बात अगर समय की हो और उसमें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का नाम न आये ऐसा कैसे हो सकता है। हर किसी को अमिताभ बच्चन की जीवन से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए। अमिताभ के बारे में एक बात बहुत प्रचलित है कि चालीस साल के अपने करियर में अमिताभ बच्चन कभी भी अपनी फिल्मों कि शूटिंग के लिए देरी से नहीं पहुंचे। और दूसरा, हाथ में लिया हुआ हर काम आसानी से और सफलता पूर्वक पूर्ण किया है। जिन्दगी में समय की ठोकरे उनको भी लगी, तीन बार ऊपर से नीचे गिरे, लेकिन अपने मन की मजबूती और समय प्रबंधन के साथ हर बार वो शिखर पर पहुँच गए। अमिताभ बच्चन से जुड़ा एक प्रसंग है कि एक बार उनकी माँ, तेजी बच्चन बहुत बीमार थी और मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती थीं। वहीं उस समय अमिताभ की एक फिल्म की शूटिंग सिंगापुर में चल रही थी। अमिताभ के लिए दोनों काम बहुत ही महत्वपूर्ण थे, माँ की देखभाल भी और शूटिंग भी। तब बहुत सोच-विचार करने के बाद उन्होंने फिर तय किया कि मैं दोनों काम करूँगा। ऐसे समय में अमिताभ बच्चन ने पूरे एक महीने तक सिंगापुर से भारत आना-जाना किया। दिनभर अमिताभ सिंगापुर में शूटिंग कर लेते और शाम को वापिस मुंबई आकर अपनी माँ के पास सुबह तक रहते और देखभाल करते। यह है समय का प्रबंधन और ऐसे लोग दुनिया में श्रेष्ठ मुकाम हासिल करते हैं।

रतन टाटा, जो हमारे देश के बड़े बिजनेसमैन है, आज भी 80 साल की उम्र में 10 घंटा काम करते हैं। 40 से भी ज्यादा कम्पनी का संचालन करते हैं, फिर भी हर खत का जवाब देते हैं और हर समस्या का निवारण करते हैं। ऐसे ही एक और उदाहरण है कुमार मंगलम बिरला का। उनसे एक बार किसी ने एक प्रश्न पूछा कि आप अपना समय कैसे मैनेज करते है, आपकी दिनचर्या क्या रहती है? तब उन्होंने बताया कि हम दिन भर ऑफिस में काम करते हैं और शाम को घर आकर फैमिली के साथ समय बिताते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बिरला हाउस में यह प्रथा है कि घर के हर सदस्य को रात 8 बजे अपना अपना मोबाइल उनके मातोश्री को जमा कराना है और फिर टेबल पर खाना खाने साथ में बैठना है। खाना खाकर हर व्यक्ति को उसको दी हुई किताब में से कुछ बातें सब के साथ साझा करनी है और सारे दिन में हुई बातों का आदान-प्रदान करना है। 9-30 बजे मोबाईल एक बार पांच मिनट के लिए मिलता है, कोई आवश्यक काम है तो देख लेना है और फिर मोबाइल बंद करना है। उसके बाद हम सब अपनी निजी जिंदगी को जीते है। पुस्तक का अध्ययन, नई बातों को सीखना, अपने खुद के ऊपर ध्यान देना। अगर बिरला जैसे लोग ऐसा कर सकते हैं, तो हम नहीं कर सकते क्या! हम अपने मोबाइल के साथ रात को 12-1 बजे तक बैठते हैं और फेसबुक-व्हाट्सएप पर लगे रहते हैं, फिर सुबह उठने में देरी हो जाती है, जल्दी से काम पर जाना होता है, तो फिर जो काम रह जाता है, वो होता है, भगवान की पूजा-अर्चना करना, परिवार के सदस्यों के साथ दो अच्छी बातें करना, बच्चों को प्यार से उनके अभ्यास के बारे में पूछना और बच्चों में अच्छे संस्कार आए ऐसी प्रवृत्ति करनाय्। अगर यह सब रह गया तो फिर जीवन जीने का कोई मतलब ही नहीं है।

इसलिए हर किसी के लिए यह आवश्यक है कि वह समय को व्यवस्थित (मैनेज) करे और ऐसे मैनेज करें कि धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इन सब कार्यों के लिए योग्य समय निकाल पाए। अपने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी रोज 14-15 घंटे काम करते हैं, सुबह में 4-4-30 बजे से लेकर रात तक वह अपने हर कार्य को निश्चित रूप से पूर्ण करते हैं। हमें भी अपने लीडर से कुछ सीख लेनी है। अगर हम सुबह 5 बजे तक उठ जायें और योग-आसन करके, भगवान का ध्यान करके, फिर सारे कार्यो को हाथ में लेते हैं तो, कभी भी हमें समय से नाराजगी नहीं रहेगी और जिन्दगी से भी नहीं। अगर समय का ध्यान नहीं रखा तो समय की थप्पड़ जरूर लगेगी और समय की थप्पड़ से कितने राजा आज रंक हो गए हैं और इसी समय की वजह से कितने ही सामान्य लोग आज असामान्य बनकर भी जी रहे हैं। फैसला हमारे हाथ में है।

किसी ने लिखा है, वक्त तो रेत है, फिसलती ही जाएगी, जीवन एक कारवां है चलता ही जाएगा, मिलेंगे कुछ खास इस रिश्ते के दरमियाँ, थाम लेना उन्हें, वरना कोई लौट के न आएगा।

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