प्रामाणिकता एवं नैतिकता (ETHICS)

प्रामाणिकता एवं नैतिकता दो ऐसी चीजे हैं जिन्हें हम अपने जीवन में अपनाये तो जीवन सुखमय बन सकता है। महाभारत में विदुर कहते हैं कि,मनुष्य के पास अगर धन नहीं है तो चलेगा, कुशलता नहीं है तो चलेगा, लेकिन नैतिकता नहीं है तो नहीं चलेगा। नैतिकता एवं प्रामाणिकता, मनुष्य जीवन की धरोहर है। हमारे देश के सुविख्यात ग्रन्थ, वेद-उपनिषद, रामायण, महाभारत और भगवद गीता ने भी नैतिकता के महत्त्व को दर्शाया है। आज समाज में एक लहर है, मुफ्रत की। लोगों को अगर मुफ्रत का कुछ भी मिलता है तो वहां पर लाइन लग जाती है। किसी चीज को बेचने ने लिए भी, उसके बदले किसी और चीज मुफ्त में देना पड़ता है। इसका मतलब है कि मुफ्त शब्द मनुष्य के लहू में चला गया है। लेकिन हमारे शास्त्रें ने कहा है कि

‘प्राणान न हिंस्यात न पिबेच्य मधं, वदेच्य सत्यं न हरेत्परार्थम।

परस्य भार्या मनसापि नेच्छेत, स्वर्गं यदिच्छेत गृ“वत प्रवेष्टुम।।’

अर्थात अगर जो मनुष्य स्वर्ग में जाने की इच्छा रखता है तो उसे किसी की हिंसा नहीं करनी, कभी मद्यपान नहीं करना, कभी भी झूठ नहीं बोलना, दूसरे का धन कभी न लेना और किसी और स्त्री का कभी विचार नहीं करना है, तभी उसे स्वर्ग मिलेगा।

आज हर दिन समाज में ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिसमें कि दस हजार के लिए आदमी किसी का खून भी कर देता है, मुफ्रत का पाने के लिए, किसी और को नुकसान देता है, सच का तो कोई आज मोल ही नहीं है और ज्यादातर लोगों की आँखें हमेशा दूसरी स्त्री पर लगी रहती है। यह सब बातें हमारे शास्त्रें के विरुद्ध है। आज हम संस्कार की बातें करते हैं पर संस्कार का मूल ही नैतिकता और प्रामाणिकता है।

आज समाज में यह हाल है कि चलने के रास्ते सिक्स लेन हो गए हैं पर मनुष्य का दृष्टिकोण संकुचित होता जा रहा है, इमारते 15 मंजिल से भी ऊँची बनने लगी है पर मानव अपने निजी जीवन में नीचे ही जा रहा है, बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा है पर संबंध बिगड़ रहा है— यह सब होने की वजह है, सैद्धांतिक गुणवता। आज मानव चन्द्रमा पर जीवन खोजने पहुँच गया है पर उसके सामने वाले फ्लेट में कौन रहता है उसका पता नहीं है। बच्चें को अच्छे से स्कूल में एडमिशन करवाया है पर वहां जाकर बच्चा क्या कर रहा है? कैसे पढ़ रहा है वो पता नहीं है। संस्कार का महत्त्व हमारे सभी ग्रंथों में उच्च स्थान पर रखा गया है, हमारे वेद उपनिषद कहते हैं कि मनुष्य के पास संस्कार कम है तो नहीं चलेगा, नीति कम है तो नहीं चलेगा, प्रामाणिकता कम है तो नहीं चलेगा, आत्म निष्ठा कम है तो नहीं चलेगा।

अपना जीवन निर्वाह चलाने के लिए मेहनत जरूरी ही है, रात भर में पैसे वाले हो जाये ऐसा कोई काम दुनिया में है ही नहीं। प्रामाणिक होना ये मनुष्य जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक बात है, थोड़ा सा ज्यादा धन कमाने के लिए या थोड़ा सा ज्यादा आगे बढ़ने के लिए अप्रामाणिक रास्ता अपनाना, ये बिलकुल गलत बात है। हम सब को पता है सत्यम के मालिक रामालिंगा राजू, जो करोड़ों रुपयों का मालिक था, एक छोटी सी अप्रामाणिक बात के लिए आज जेल में है। जिम कोलिन्स ने एक पुस्तक लिखा है, जिसका नाम है, ’अछे से महान’, इस पुस्तक में उन्होंने यही बात कही है कि आदमी भले ही राजा हो पर अगर वो गलत रास्ते पर चल गया, अगर थोड़ा भी निति से बाहर चला गया तो उसे समाज से नीचे गिरने में देर नहीं लगती। और इस पुस्तक में उसने दुनिया के कई महानुभावाें, जो एक जमाने में शपदह कहलाते थे और कुछ अनैतिक काम कर लिया और सीधे टॉप से नीचे गिर गए। ज्यादा पैसा कमाने के लालच में आदमी जब अपने मूलभूत संस्कार भूल जाता है, नीति को पीछे कर देता है तब वो मुश्किल में जरूर पड़ जाता है। हमारे लोकप्रिय नेता सरदार पटेल, इतने प्रामाणिक थे कि देश के गृह मंत्री होने के बावजूद जब उनकी मौत हो गई तब उनके घर में सिर्फ कुछ ही रूपये थे। ऐसे प्रामाणिक होने की वजह से वो सब के सामने सर उठाकर बात कर सकते थे। आज हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को सारा विश्व सलाम करता है, नत-मस्तक रहता है और हम सब लोग उनपर जो विश्वास करते हैं, उसका एक मात्र कारण उनकी प्रामाणिकता है। किसी ने सच ही कहा है कि Authenticity makes humans stronger, मतलब की प्रामाणिकता से मानव मजबूत बनता है।

अनैतिक राह से क्या-क्या होता है उसका एक उदाहरण है। रजत गुप्ता के नाम से एक भारतीय, जो  खड़गपुर में ग्रेजुएट हुआ था,  बहुत उच्च स्थान पर जॉब कर रहा था। कोलमन और निकल्सन जैसी कम्पनियों का डायरेक्टर था| एक बार ऐसा हुआ की रोलर बफेट नाम के एक उद्योगपति ने कोलमन को ऑफर किया कि वो कोलमन में अपना 5 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करना चाहता है। कोलमन ने उसके इस ऑफर के लिए उनके साथ एक मीटिंग की और उस मीटिंग में सब डायरेक्टर्स मौजूद थे, तब रजत गुप्ता भी थे। मीटिंग में यह फाइनल हो गया कि उसका इन्वेस्टमेंट हम लेंगे और कल सुबह में उसकी ऑफिसियल अनाउंसमेंट करेंगे, तब रजत गुप्ता को एक विचार आया, उसको लगा की यही मौका है, ज्यादा पैसा कमाने का। उसने मीटिंग से बाहर निकल कर अपने दोस्त और एक पार्टनर राजा रत्नम को फोन किया और उसको बोला कि अभी से चालू करके कल सुबह तक कोलमन के जितने भी शेयर खरीद सकते हो खरीद लो। राजा रत्नम ने वैसे ही किया और दूसरे दिन सुबह तक मार्केट से बहुत सारे कोलमन के शेयर खरीद लिए गए। सुबह में ऑफिसियल अनाउंसमेंट हुई, मीडिया में समाचार आ गए की रोलर बफेट ने कोलमन में 5 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट किया और उसके सब प्लान्स भी आए। जैसे ही यह घोषणा हुई, कोलमन के शेयर भाव बहुत ही ज्यादा बढ़ गए, शाम तक तो आसमान पर पहुँच गए और शाम को उन्होंने वो सब शेयर मार्केट में बेच दिए, जिनकी वजह से एक ही दिन में उनको मिलियंस डॉलर का फायदा हुआ। लेकिन कहते हैं कि पाप हमेशा छत के उपर जाकर आवाज देता है, ऐसे ही अमेरिका के सीबीआई को इसकी भनक लग गई और तफ्तीश शुरू हुई, धीरे-धीरे वो तफ्तीश रजत गुप्ता तक पहुँच ही गई और फिर पूछताछ शुरू हुई, इसके बाद खुलासा हुआ कि उसने ही पैसे कमाने के लिए अपने मित्र को फोन करके ये अंदर की बात बताई थी। फिर तो क्या, राजा रत्नम को 16 साल की जेल हुई और रजत गुप्ता, जिसके पीछे आधी दुनिया थी, उनको भी दो साल की जेल हुई। बाहर निकलते समय रजत गुप्ता नत मस्तक होकर एक ही बात बोले, My 40 years of hard work, through which I had made a name for myself, got ruined because of my small mistake of five minutes. मतलब की मेरी 40 साल की मेहनत, जिससे मैंने एक पहचान बनायीं थी, वो मेरी छोटी सी पांच मिनट की गलती की वजह से मिट्टी में मिल गई। तो ये था एक ज्वलंत उदाहरण, नैतिक और अनैतिक जिंदगी जीने का। इतने बड़े आदमी होकर भी एक भूल से कितना नीचे गिर गए। तो इसका मतलब यह है कि कुछ भी हो जाये अपने संस्कार और नीतिमता को कभी भी मत छोड़िये।

कहा जाता है कि There is no lift to success, मतलब की सफलता को लिफ्ट नहीं होती, सफलता पाने के लिए सीढियों  से ही जाना पड़ता है। आदमी कोई भी हो, अमीर हो या गरीब, चेयरमैन हो या चपरासी, गुरु हो या शिष्य, किसी को भी गलत रास्ते अपनाने का कोई अधिकार नहीं है और अगर वो गलत रास्ते को अपनाता है तो उसे नीचे गिरने में देर बिलकुल नहीं लगती। इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का चेयरमैन हो तो वो भी पलग के अंदर ऊँगली नहीं डाल सकता और अगर वो डालता भी है तो उसे शॉक लगने से कोई रोक नहीं सकता। कोई भी कार्य करते-करते उसकी कार्य पद्धति में बदलाव हो सकता है पर उसके सिद्धांत में बदलाव कभी नहीं हो सकता। अगर हम को चेस का खेल खेलना हो तो हमें उसके नीति नियमाें का पालन करना ही पड़ता है, हम ये नहीं बोल सकते की मैं तो घोड़ा सीधा ही चलाऊंगा या तो मैं हाथी को ढाई स्टेप ही चलाऊंगा। उसके लिए जो भी खेल के नियम बनाये गए हैं वैसे ही हमको खेलना पड़ता है, अपनी मर्जी नहीं चलती। वैसे ही जीवन में भी जो मूलभूत सिद्धांत बनाये गए है उसको हमें पालना ही पड़ता है। पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता हम नहीं चुन सकते। एक कहावत है कि, फ्सफलता को कोई शोर्ट कट नहीं होता।’’

हमारे देश के महान व्यक्ति, आचार्य चाणक्य ने कहा है कि,

अन्यायोपार्जितं स्वामिनो युक्तं, युक्तं नीचस्य दूषणम्,

प्राप्ते चौकादशे वर्षे समूलं तद विनश्यति।

अर्थात, अन्याय से कमाया हुआ धन दस वर्ष तक ठहरता है, ग्याहरवां वर्ष शुरू होते ही वह ब्याज और मूल सहित नष्ट हो जाता है।

जब नैतिकता की बात चली है तो एक कहानी का जिक्र करना जरूरी होगा। शायद वह कहानी आप सब ने भी सुनी होगी-‘एक बार एक बंदर दौड़ता हुआ अपनी जमात के पास आ गया और बोला कि मैंने एक अफवाह सुनी है तो कृपया मीटिंग बुलाये, मैं सब बंदरों को कुछ सवाल करके कुछ बातों को स्पष्ट करना चाहता हूँ। जैसे ही उन्होंने बोला, बंदरों की एक मीटिंग रखी गई, फिर उसने कहा कि बाजार से मैं आज जब गुजर रहा था तो कई लोग ऐसे कह रहे थे कि मनुष्य अवतार बंदर से ही आया हुआ है और आदमी बंदर का ही एक स्वरूप है, तो क्या यह अफवाह सही है? सब बंदरों ने चर्चा की और फिर कारण निकला कि हम बंदर कभी भी अपने बच्चों को छोड़कर किट्टी पार्टी में नहीं जाते और हम मोबाइल से, चैट करने में व्यस्त होते हैं, जो मानव करता है। दूसरे ने कहा कि हम बंदर कभी हमारे अन्य बंदर भाई को गन लेकर मारते नहीं है और न ही हम बंदरियो पर बलात्कार करते हैं, जो मानव करता है। तीसरे ने बोला कि हम कभी भी अपने बुजुर्ग माँ-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ने नहीं जाते, जो मानव करते हैं। अगर यह सब चीजे जो मानव करते हैं और हम बंदर नहीं करते, तो फिर ऐसा हो ही नहीं सकता की मनुष्य हमारी ही प्रतिकृति है या फिर बंदर से मानव बना है।’

इस कहानी का भावार्थ तो आप समझ ही गए होंगे। आज हम नीतिमता और संस्कार से इतने नीचे जा रहे हैं कि आज तो बंदर ने बोल दिया, कल और भी कोई पशु बोल सकता है। तो इतना जरूर से करिए की संस्कार और नीतिमत्ता, प्रामाणिकता, सिद्धांत में कभी भी आगे पीछे मत होइए, सफलता अपने आप आ जाएगी। सफलता पाने के लिए गलत रास्ते का इस्तेमाल कभी भी नहीं होना चाहिए। संस्कार, मनुष्य जीवन के लिए लाइफ टाइम सिक्योरिटी है और प्रामाणिकता, मनुष्य का गहना है।

टीवी पर रामायण देखते हुए अक्सर लोग भगवान श्री राम के यह नीतिमत्ता वाले गुण का स्वाद लेते है। श्री राम ने अपने जीवन में कभी नीतिमत्ता और प्रामाणिकता को पीछे नहीं रखा, और उन्होंने अपने पूर्वजों का कमाया हुआ यह गुण अपने जीवन में तेजस्विता से साकार किया। हम लोग सीरियल तो हर रोज देखते है, पर उनमें देखने और समझने वाली जो चीज है, वो है, श्री राम के गुण। जिसको हमें अपने जीवन में साकार करने की कोशिश करनी है।

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