भारतीय संस्कृति के महान शिक्षण विद और बुध्धि चातुर्य की प्रतिमा…. आचार्य चाणक्य

अनुमानतः  चाणक्य ईसापूर्व 376 –283 के बीच चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे | वे कौटिल्य के नाम से भी विख्यात है | वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे | मुख्यरूप से उन्होंने भील और किरात राजकुमारों को प्रशिक्षण दिया | उन्होंने नन्दवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया | उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति, अदि का महान ग्रन्थ है | अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है | चाणक्य की मृत्यु को लेकर दो कहानियां हैं | दोनों में से कौन सा सच है, यह कहना आज भी कठिन है | एक के अनुसार भोजन नहीं करने के कारण उनकी मृत्यु हुई |

वे  एक शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री तथा राजनेता थे |   उनका जन्म ईसापूर्व 375 में तक्षशीला (अब जिला रावलपिंडी, पाकिस्तान)  में हुआ था | उनकी मृत्यु ईसापूर्व 275 में पाटलिपुत्र (वर्त्तमान पटना, भारत )  हुई थी | कुछ  विद्वानों के अनुसार  भोजन त्यागने के कारण उनकी मृत्यु हुई थी | जीवन में उनकी अभिरुचि थी, पुस्तकें पढ़ना, लेखन करना और भाषण देना | उनके वैवाहिक जीवन के विषय में कोई जानकारी नहीं है | उनके पिता ऋषि कनक थे और माता चनेश्वरी | चाणक्य के पिता एक गरीब ब्राह्मण थे और किसी तरह अपना गुजर-बसर करने के लिए छोटा-मोटा कार्य करते थे | यही कारण है कि चाणक्य का बचपन बहुत गरीबी और कठिनाइयों से गुजरा | उनकी शिक्षा-दीक्षा तक्षाशीला में हुई  |

कुछ विद्वानों के अनुसार चाणक्य बड़े ही स्वाभिमानी और क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति थे |  एकबार मगध के राजा महानंद ने  श्राद्ध के अवसर पर चाणक्य को बुलाया और अपमानित किया | उसी समय चाणक्य ने क्रोध में वशीभूत होकर अपनी शिखा खोलकर यह प्रतिज्ञा ली, कि जब तक नन्दवंश का नाश नहीं कर देंगे, तब तक वह अपनी शिखा नहीं बांधेंगे | नन्दवंश के विनाश के बाद उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठाया | उसके बाद मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने के उद्येश्य से वे राजनीति में प्रवेश किये और चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री बने |  भारत पर सिकंदर के आक्रमण के कारण छोटे छोटे राज्यों की पराजय से अभिभूत होकर चाणक्य ने व्यवहारिक राजनीति में प्रवेश करने का संकल्प लिया | वे भारत को विशाल और गौरवशाली राज्य बनाना चाहते थे | चाणक्य की विद्वत्ता,निपुणता, दूरदर्शिता का वर्णन भारत के शास्त्रों,काव्यों तथा दूसरे ग्रंथों में उल्लेख मिलता  है |

पाश्चात्य राजनीतिक चिंतकों द्वारा प्रतिपादित राज्यों के चार आवश्यक तत्वों –भूमि, जनसंख्या, सरकार, संप्रभुता का विवरण न देकर उन्होंने राज्यों के सात तत्वों का वर्णन किया है |   इनमें राजा, मंत्री, प्रजा, किला, कोष, दण्ड, मित्र आदि शामिल है |

चाणक्य चन्द्रगुप्त के भोजन में प्रतिदिन अल्प अल्प विष मिलाया करते थे, ताकि भविष्य में उनके शत्रुओं द्वारा विष दिए जाने पर भी वे सुरक्षित रह सके | चन्द्रगुप्त इस के विषय में अनजान थे | पत्नी के साथ भोजन साझा करने के कारण उनकी  पत्नी की मृत्यु हो गयी | उस समय वह गर्भवती थी | सात दिन बाद प्रसव भी होनेवाला था | चाणक्य ने अजन्मे बच्चे को बचा लिया था | उन्होंने सम्राट चन्द्रगुप्त और उनके पुत्र बिन्दुसार दोनों के साथ मुख्य राजनीतिक और आर्थिक सलाहकार थे | कुछ विद्वानों के अनुसार चाणक्य ने एक महिला सेना बनायी थी | विषकन्या के रूप में इनकी पहचान थी | अधिक जहर देकर उन्हें घातक बनाया गया था | उनके चुम्बन से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती थी | माता की मृत्यु के कारण जानने के बाद बिदुसार अपने साम्राज्य से चाणक्य को निष्कासित कर दिया था | अपनी गलती का एहसास होने पर पुनः उन्हें वापस भी बुला लिए थे | कुछ विद्वानों के अनुसार  महिलाओं के प्रति उनके विचारों के कारण उनकी निंदा भी हुई थी | उन्होंने महिलाओं पर शोध किया और अपने पाठ में दर्ज भी किया | अर्थशास्त्र के आलावा चाणक्य की प्रसिद्ध पुस्तक चाणक्य नीति  को भी  चाणक्य नीतिशास्त्र कहा जाता है  |

वर्ष 1995 में, उनकी प्रसिद्ध पुस्तक अर्थशास्त्र को लाइब्रेरियन रुद्रपत्न शामाशास्त्री द्वारा प्राचीन हथेली के पत्ते की पांडुलिपियों एक अनिश्चित समूह में खोजा गया | और उसे ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, मैसूर में संरक्षित किया गया |

चाणक्य को भारत में एक महान विचारक और राजनायिक के रूप में सम्मानित किया जाता है | कई भारतीय राष्ट्रविदों ने उनकी प्रशंसा में बहुत कुछ कहा है, जिनमें भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भी एक है | उनके अनुसार चाणक्य का अर्थशास्त्र आज भी प्रासंगिक है |

About Narvil News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*