abdul kalam

स्वतन्त्र भारत के मिसाइल मेन…. डॉ.ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

स्वतन्त्र भारत के मिसाइल मेन, उच्च कोटि के शिक्षक, भारत रत्न एवं सफल राष्ट्रपति…………… डॉ.ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

अबुल पाकिर जैनूल अब्दीन अब्दुल कलाम, देश के एक जाने माने चेहरे  हैं | इन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है |

वे भारतीय  गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे | वे जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में भी विख्यात थे | उन्होंने सिखाया कि जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न आवे, जो अपने स्वप्न को पूरा करने के लिए ठान लेते हैं, वे अवश्य उसे पूरा करते हैं |

ए पी जे अब्दुल कलाम मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक थे |   विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक उन्होंने रक्षा अनुसन्धान एवं  विकास संगठन ( डीआरडीओ ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन संभाला | वे भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल  के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे  | बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में ये  मिसाइल मैन कहे जाते हैं | इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले  मूल परमाणु परिक्षण के बाद से  दूसरी बार 1998 में पोखरान-द्वितीय परमाणु परिक्षण में एक निर्णायक,संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई |

ए पी जे अब्दुल कलाम  सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी दोनों के समर्थन में  2002 में राष्ट्रपति चुने गए | पांच वर्ष की सेवा के बाद  वे पुनः नागरिक जीवन में लौट आये | शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा में ही शेष जीवन बिताये | इन्होंने भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये |

15 अक्तूबर 1931 को धनुषकोडी ग्राम में एक मध्यम वर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ | इनके पिता जैनुलाब्दीन अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे | पैसे वाले भी नहीं कह सकते | उनका पेशा था मछुआरों को किराये पर नाव देना | अब्दुल कलाम का परिवार संयुक्त था | बड़ा परिवार था उनका | वे खुद पांच भाई और पांच बहन थे | उनके साथ तीन परिवार रहते थे | कलाम की जिन्दगी में पिता का गहरा प्रभाव रहा | कम पढ़े-लिखे रहने के बावजूद पिता  के  लगन और संस्कार अब्दुल के जीवन बड़ा  काम आया |    रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय  में  उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था | उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन में सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीनों शक्तियों को अच्छी तरह समझ लेना और उनपर प्रभुत्व स्थापित करना  अनिवार्य होता है | पांचवीं कक्षा में पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी अपने शिक्षक उसे दे  रहे थे | मगर वे समझ नहीं पाए | तब शिक्षक  उसे  समुद्र किनारे ले जाकर उड़ते हुए पक्षी को दिखाकर अच्छे से समझा दिये थे  | इन पक्षियों को देखकर ही कलाम ने भविष्य में विमान विज्ञानी बनना तय कर  लिया था|

अब्दुल कलाम के गणित शिक्षक सुबह ट्यूशन लेते थे | इसलिए वे सुबह चार बजे गणित की ट्यूशन पढने जाते थे | अब्दुल कलाम प्रारंभिक जीवन में आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरण का काम भी करते थे | उन्होंने 1950 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद हावरक्राफ्ट परियोजना में काम करने के लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया | 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई | जुलाई  1982 में रोहिणी उपग्रह सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाना  इन्हीं का श्रेय था | भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस एल बी तृतीय ) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय भी इन्हीं को हासिल हुआ था | इन्होने अग्नि और पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था | कलाम 1992 से दिसंबर 1999 तक रक्षामंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे | कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की | अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परिक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है | उनकी देख-रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परिक्षण किया और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों  की  सूची में भारत भी शामिल हो गया |

18 जुलाई 2002 को अब्दुल  कलाम  भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए  थे |  कलाम व्यक्तिगत जीवन में बेहद अनुशासनप्रिय थे | वे शाकाहारी थे | भारतीय युवाओं को मार्ग-दर्शन करने के अंदाज में उन्होंने “विंग्स ऑफ फायर” लिखा | उनकी  दूसरी पुस्तक  “ गाइडिंग सोल्स-डायलॉग्स ऑफ द पर्पज ऑफ लाइफ”   आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है | तमिल भाषाओँ में उन्होंने कविताएँ भी लिखी हैं | राजनितिक दृष्टि से भी कलाम  संपन्न माने जाते हैं |  उन्होंने अपनी पुस्तक “इंडिया 2020” में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है |

कार्यालय छोड़ने के बाद,कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान,  शिलोंग, अहमदाबाद,इंदौर और बैंगलोर के मानद फैलो एवं एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए | भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्व विद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और पूरे  भारत में  कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए |83 साल की अवस्था में 27  जुलाई, 2015 की शाम   प्रबंधन संस्थान शिलोंग, मेघालय  में ‘रहने योग्य गृह’  पर व्याख्यान देने के समय दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हुई |30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करुम्बु ग्राउंड में दफना दिया गया | वैज्ञानिक अनुसंधान और भारतमें तकनीकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु 1997 में कलाम  साहब को  भारत का सर्वोच्च  नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया |

About Narvil News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*