बदलते दौर के साथ बदल रहा है भाई बहन का रिश्ता

दुनिया में ऐसे तो कई हर इंसान की जिंदगी में कई खूबसूरत रिश्ते होते हैं माता-पिता, पत्नी पत्नी, भाई -भाई , पिता -पुत्र, दोस्त आदि का।लेकिन इन सब में एक और ख़ूबसूरत और पवित्र रिश्ता होता है भाई बहन का। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दोनों एक दूसरे के सुख में सुखी और दुःख में एक दूसरे की ढाल बनकर खड़े रहते हैं।प्राचीन काल से ही इस रिश्ते का खास महत्व रहा है। हमारे वैदिक ग्रंथों और संस्कृति में भी इस रिश्ते के बारे में काफी कुछ कहा गया है।हमारे वैदिक ग्रंथो से लेकर इतिहास तक में भाई बहन को लेकर कई कहानियां है और भाई बहन के कई उदाहरण भी दिए गए कृष्ण-द्रोपदी, लक्ष्मीजी-बलि, कर्मवती-हुमायूं, आदि शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इस बंधन से इस प्रेम से अछूता रहा हो।इस रिश्ते में वो मर्म है जिसमे इंसान हमेशा खुश ही रहता है। बहन जहाँ अपने भाई में एक भाई के साथ -साथ पिता, दोस्त और रक्षक की छवि देखती है। वहीं भाई भी अपनी बहन में माँ और दोस्त के स्पर्श को महसूस करता है। उसके लिए बहन वह जिससे कभी प्यार से, कभी तकरार से , कभी नखरे दिखा कर तो कभी घुस देकर अपना हर काम करवाया जा सकता है और कभी कभी माता पिता की डांट से भी बचाता है। वहीं भाई भी अपनी बहन के साथ हर सुख -दुःख में खड़ा रहता है। उसपर अत्यंत विश्वास करता है और उसके लिए पूरी दुनिया से भी लड़ने से नहीं डरता। यह वह रिश्ता है जिसमें द्वेष की कोई जगह नहीं सिर्फ निश्छल और निःस्वार्थ प्रेम है। लेकिन बदलते दौर के साथ अब इस रिश्ते के मायने भी बदलते जा रहे हैं। भले ही इस रिश्ते में आज भी प्रेम है , लेकिन अब ज्यादातर इस रिश्ते में स्वार्थ ने जगह ले ली है। पहले जहां भाई बहन एक दूसरे के बारे में पहले सोचते थे एक दूसरे के लिए तत्पर रहते थे वहीं अब कई ऐसे भाई बहन है जो अब पहले सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। अब इस रिश्ते में भी दिखावे के प्रेम ने जगह ले ली है। वैसे तो चाणक्य नीति में कहा गया है कि कठिन परिस्थिति में भाई-बहन ही सच्चा सहारा होते हैं। लेकिन अगर भाई-बहन में आपके प्रति कोई स्नेह का भाव न हो तो उनका त्याग करना ही बेहतर है। लेकिन यह दुनिया मोह माया से बनी हुई है इसलिए कई लोग सब जानते समझते भी इस रिश्ते का त्याग नहीं कर पाते और एकतरफा रिश्ता निभाते रहते हैं।श्रीमद भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने केवल अर्जुन को ज्ञान नहीं दिया था, बल्कि समूचे संसार को वो बहुत कुछ सिखा गए। आज भी भगवान द्वारा सिखाया वो पाठ आपके लिए बहुत आवश्यक है। रिश्ते की डोर अचानक से कमजोर क्यों पड़ जाती है, आखिर क्यों आप अपनों को देखना तक पसंद नहीं करते। किसी को आत्मसात करने जैसा शब्द ही अब केवल बचा है। इसकी आत्मीयता तो न जाने कब की मर चुकी है। कलयुग में बस बना-बनाया रिश्ता चल रहा है। अब रिश्ता इतना कमजोर हो गया है कि हल्की-सी चोट उसे तोड़कर रख देती है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि किसी भी रिश्ते में खटास तब उत्पन्न होता है जब दोनों के बीच की सीमाएं टूटती हैं। दो रिश्तों में अक्सर एक सीमा तय की होती है। जैसे ही कोई एक उस सीमा को लांघता है, तो दूरियां अपने आप बढ़ जाती हैं।रिश्ते कोई धर्म-कर्म नहीं है कि किसी एक को प्रचारक होना चाहिए और बाकी सबको उसका समर्थक या अनुयायी। रिश्ते में तो प्रेम का रस दोनों तरफ से बराबर प्रवाहित होता है, किंतु आज रिश्ते में ये नहीं रह गया। जब भी रिश्ते में कोई एक स्वयं को आवश्यकता से अधिक महत्व देता है और दूसरे पर अपना निर्णय थोपता है, तो बहुत दिनों तक उनका रिश्ता नहीं चलता। यही कारण है कि रिश्ता टूट जाता है। आज भाई बहन के पवित्र रिश्ते में भी यही हो रहा है। इस रिश्ते में अतिविश्वास की जगह अब विश्वासघात ने ले ली है। रामायण में भी एक ऐसी बहन का जिक्र है जिसे दुनिया सूर्पणखा के नाम से जानती है। अपनी बहन पर अति विश्वास करने का ही नतीजा था कि सूर्पणखा ने अपने भाई और विद्वान रावण के समक्ष अपनी गलतियों को छुपा कर मनगढ़ंत कहानी बनाई और यही से शुरू हुआ रावण के मन में द्वेष पलना और आगे क्या हुआ यह सब जानते हैं। आज कलयुग में भी ऐसे कई भाई बहन है। जो इस रिश्ते की पवित्रता ,प्रेम और विश्वसनीयता को खत्म कर रहे हैं जबकि होना ये चाहिए कि बहन अगर बड़ी हो तो उसे माँ का दूसरा रूप और छोटी बहन हो तो बेटी माननी चाहिए और इस रिश्ते के निश्छल प्रेम और पवित्रता को बनाये रखना चाहिए। वैसे ही अगर भाई छोटा है तो पुत्र की तरह और अगर भाई बड़ा हो तो पिता की तरह मानना चाहिए और सम्मान देना चाहिए। भाई बहन को एक दूसरे के सुख दुःख का साथी बनना चाहिए विश्वासघाती नहीं। इस रिश्ते में नोंक झोक हो बदले की भावना नहीं। इस रिश्ते में प्रेम होना चाहिए भरोसा और ईमानदारी होनी चाहिए द्वेष और ईर्ष्या नहीं। यह एक अनमोल रिश्ता है बहन हर भाई के लिए एक अनमोल दुआ है तो वहीं भाई भी बहन के लिए एक शीतल छाया इसलिए इस रिश्ते को सहेज और संभालकर रखिये।

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