गीता

जिसने कामनाओं का त्याग कर दिया, वह ईश्वरीय अंश है…

श्रीमद्भगवद् गीता में कई बार कामनाओं के विषय में बातें की गई हैं। वस्तुतः यह विषय ही ऐसा है कि इसके विषय में जितनी बात करें उतनी कम है। कामना अर्थात विभिन्न प्रकार की इच्छाएं, मानव जीवन की एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। कोई भी साधारण व्यक्ति कामनाओं इच्छाओं से सर्वथा दूर नहीं हो सकता है, जो सर्वविदित है। लेकिन भारतीय ...

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मनुष्य के तीन दुश्मन-काम, क्रोध और लालच

भारतीय संस्कृति के आधार ग्रंथ श्रीमद् भगवद गीता में मानव जीवन उद्धार के लिए स्वयं ईश्वर के मुख से कही गई कितनी ही बातों का उल्लेख किया जा सकता है । इसी परिप्रेक्ष्य में मनुष्य जीवन के उत्कर्ष में मुख्य तीन बाधाओं-काम, क्रोध और लोभ पर चर्चा अनिवार्य हो जाती है क्योंकि ये तीनों ही ऐसी बातें है जिन पर ...

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भगवान का भक्त कैसा हो?

मनुष्य जीवन जीते हुए हर व्यक्ति अपना सांसारिक और सामाजिक कर्तव्य पूरा करता है लेकिन इसके बाद भी कुछ है और वो है हमारा पुण्य-फल। जब किसी व्यक्ति के जीवन में दुःख आता है तब हम कहते हैं कि गत जन्मों के कुछ पाप किये होंगे, जो भुगत रहा है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और ऐसा ही होता है। ...

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निष्काम कर्म और समभाव

हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख और समृद्धि चाहता है। लेकिन हमारी मुश्किल यह है कि जीवन में आती हुई हर परिस्थिति के भीतर हम विचलित हो जाते हैं। सही में तो परिस्थिति को हमारा कहना मानना है, लेकिन होता यह है कि हम ही परिस्थिति के गुलाम बन जाते हैं। विचलित हो जाते हैं और अंत में दुखी होते ...

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योगक्षेमं वहाम्यहम्य्

मनुष्य जीवन जीते हुए हमें हमेशा ही हमारे योगक्षेम, मतलब की हमारी आवश्यकताओं और आश्रय की चिंता सताती रहती है। यह मनुष्य जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन जब हम भगवद गीता का अध्ययन करेंगे तो ज्ञात होगा कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपको किसी भी तरह की कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है, अगर आप प्रभु ...

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दृढ़ निश्चय से, सब कुछ संभव

संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। दृढ़ संकल्पित व्यक्ति, असंभव से लगने वाले कार्यों को भी सहज ही कर गुजरता है। भगवद् गीता के 9वें अध्याय के 31वें श्लोक में कहा गया है- न मे भक्तः प्रणश्यति।।9-31।। अर्थात् दृढ़निश्चयी व्यक्ति, कभी नष्ट नहीं होता | प्रत्येक गुजरते दिन के साथ ही हमारी प्राथमिकताएं भी बदलती जाती हैं। अपनी प्राथमिकताओं के ...

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गीता आश्वासन – हमारा जीवन संकल्प

(गीता हमारी माँ है, जो हमें सदा अमृत पान कराती है) भगवद गीता हमें बताती है कि भगवान को कैसा भक्त पसंद है और इसके साथ ही गीता हमें यह भी एहसास करवाती है कि मनुष्य के भीतर कैसे गुण होने चाहिएI भगवद गीता एक ऐसा अमृत-पान है, जिसे हम जैसे-जैसे पीते  जाए, हम जीवन उत्कृष्टता की राह पर, उतना ...

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