डॉ. मनमोहन सिंह… पूर्व प्रधानमंत्री, वरिष्ठ राजनेता एवं देश के आर्थिक सुधारो के प्रणेता

भारत के 13 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाने वाले वरिष्ठ नेता एवं
अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का जन्म अखंड भारत के पंजाब प्रान्त (वर्तमान
पाकिस्तान) स्थित गाह में 26 सितम्बर, 1932 को एक सिख परिवार में हुआ था।
उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। छोटी उम्र में
ही उनकी माता का निधन हो गया और इसलिए उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया।
मनमोहन सिंह को बचपन से ही पढाई के बहुत शौकीन थे। लेकिन साल 1947 में
भारत-पकिस्तान बटवारे में वह अपने परिवार समेत भारत के अमृतसर में आकर बस
गए। यहां आने के बाद भी मनमोहन सिंह ने अपनी पढाई जारी रखी और यहाँ पंजाब
विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के
बाद आगे की पढाई के लिए वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने
पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़
फिलॉसफी भी की। 1964 में मनमोहन सिंह ने “इंडिया एक्सपोर्ट ट्रेंड एंड
प्रॉस्पेक्टस फॉर सेल्फ ससटेंड ग्रोथ” नाम से पुस्तक लिखी जिसे क्लेरेंडॉन
प्रेस ने प्रकाशित की । यह पुस्तक भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली
और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर
पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित
दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। साल 1958 में मनमोहन सिंह
का विवाह गुरशरण कौर के साथ हुआ। उनकी तीन बेटियाँ हैं – उपिन्दर, दमन और
अम्रित। साल 1971 का साल मनमोहन सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण साल साबित हुआ।
इस साल वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और वाणिज्य एवं उद्योग
मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। साल 1972 में
उन्हें मुख्य सलाहकार, वित्त मंत्रालय में नियुक्त किये गए। इसके बाद के
वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर,
प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष
भी रहे हैं। भारत में आर्थिक सुधारों के प्रणेता माने जाने वाले मनमोहन
सिंह साल 1985 में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किये गए। उस
समय देश में राजीव गांधी की सरकार थी। मनमोहन सिंह ने पांच वर्षो तक इस पद
का दायित्व पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाया। इसके बाद साल 1991 में
जब पीवी नरसिम्हा प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को अपने
मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप
दिया। लेकिन मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे,जबकि
संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना
आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुना
गया।इसके बाद मनमोहन सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़ राजनीती में कदम रखा। इसके
बाद नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए जब मनमोहन सिंह वित्त
मंत्री बने तो उस समय भारत बहुत बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था, तब
मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को एक नयी दिशा दी जिससे देश ने आर्थिक
उदारीकरण के युग में प्रवेश किया। सबसे पहले उन्होंने लाइसेंस राज को रद्द
कर दिया जिसके तहत उद्योगों को कोई भी बदलाव करने से पहले सरकार से
स्वीकृति लेनी पड़ती थी। उनके इस कदम से निजी उद्योगों को बहुत लाभ हुआ
जिसके फलस्वरूप सरकारी उद्योगों में विनिवेश और निजीकरण की प्रक्रिया
प्रारम्भ हुई।साल 1998 में मनमोहन सिंह जी राज्यसभा के सदस्य चुने गए, और
1998 से 2004 तक वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। साल 2004 में हुए आम
चुनाव में यूपीए सरकार की जीत हुई, इस जीत के बाद कांग्रेस पार्टी की
अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने डॉ. मनमोहन सिंह को भारत का अगला प्रधानमंत्री
घोषित किया। उस समय मनमोहन सिंह लोकसभा के सदस्य भी नहीं थे, बहुत कम
भारतवासी उन्हें जानते पहचानते थे  लेकिन राजनीती में साफ छवि रखने वाले
मनमोहन सिंह ने सत्ता की आड़ में कभी गन्दी राजनीती नहीं खेली और न कभी किसी
के लिए किसी तरह के अपशब्द का प्रयोग किया , जिस वजह से हर भारतवासी ने
उन्हें दिल से अपनाया और उनके सादगी एवं धार्यता के साथ -साथ उनके द्वारा
किये गए कार्यों की भी सराहना की। 22 मई 2004 को मनमोहन सिंह ने पहली बार
प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और कार्यभार संभाला, जो अप्रैल 2009 में सफलता
के साथ पूर्ण हुआसाल 2007 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत का सकल
घरेलू उत्पादन 9% रहा और भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी विकासशील
अर्थव्यवस्था बन गया। उनके नेतृत्व में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत हुई। इस कार्य की दुनियाभर में
लोगो ने सराहना की। उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा-क्षेत्र में भी काफी
सुधार हुआ।
इसके पश्चात् लोकसभा के चुनाव हुए और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की अगुवाई
वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन पुन: विजयी हुआ। इसके बाद मनमोहन सिंह
दोबारा 22 मई 2009 को प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए और 26 मई 2014 तक अपने
कार्यभार को बखूबी निभाया । प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह के नेतृत्व
में ग्रामीण नागरिकों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
की शुरुआत हुई। इस कार्य की दुनियाभर में लोगो ने सराहना की। उनके कार्यकाल
के दौरान शिक्षा-क्षेत्र में भी काफी सुधर हुआ। सरकार ने पिछड़ी जाति और
समाज के लोगो को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की सफल कोशिश की।मनमोहन सिंह
सरकार ने आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कई कानून पारित किये। 2008 में
मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का गठन किया गया।
2009 में इ-प्रशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने हेतु भारतीय
विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया गया जिस के तहत लोगों को बहु उद्देशीय
राष्ट्रीय पहचान पत्र देने की घोषणा की गई। इस सरकार ने अलग-अलग देशों के
साथ मजबूत रिश्ते बनाये और बरक़रार रखे। इस तरह के अनेको कार्य मनमोहन सिंह
के नेतृत्व में हुए, जिससे की देश की जनता को तो फायदा हुआ ही देश की
अर्थव्यवस्था में भी सुधन हुई । मनमोहन सिंह को देश में उनके सराहनीय
योगदानों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।साल 1982 में कैंब्रिज
के जॉन कॉलेज ने मनमोहन सिंह जो को सम्मानित किया।साल 1987 में उन्हें देश
के चौथे सबसे बड़े सम्मान पद्म विभूषण से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया
गया।
1994 में लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने प्रतिष्ठित अध्येता के रूप में
उन्हें चुना।साल 2002 में भारतीय संसद ग्रुप के द्वारा उन्हें संसदीय
अवार्ड और साल 2010 में पील ऑफ़ कान्शन्स फौन्डेशन की ओर से वर्ल्ड
स्टैट्स्मन पुरस्कार प्रदान किया गया।
मनमोहन सिंह एक शांत स्वभाव वाले एक ऐसे इंसान है,जिसने आलोचनाओं की परवाह
किये बगैर देश की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये। मनमोहन सिंह के
जीवन के ऊपर फिल्म भी बन चुकी है,जिसका नाम है ‘द एक्सीडेंटल प्राइम
मिनिस्टर’। विजय रत्नाकर गुट्टे द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दिग्गज
अभिनेता अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह के किरदार को बखूबी निभाया। यह फिल्म साल
2014 में संजय बारू ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर आधारित थी। इस किताब
मे मनमोहन सिंह की जिंदगी पर ही आधारित थी, जिसपर इसी नाम से बॉलीवुड में
फिल्म बनी और यह फिल्म साल 2019 में रिलीज हुई थी,जिसे काफी पसंद किया गया
था।

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