पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर

ओडिशा राज्य के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरो में से एक है| जगन्नाथ मंदिर श्री कृष्ण भगवान को समर्पित है। हिन्दुओ का प्रमुख मंदिर होने के साथ साथ यह भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और तीर्थस्थल भी है। जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक पूरी पहुंचते है,जगन्नाथ शब्द का अर्थ है जगत के स्वामी,इसी वजह से इसका नाम जगन्नाथ पड़ा था| हिन्दू धर्म के प्रमुख धामों में से एक धाम जगन्नाथ को भी माना जाता है|

जगन्नाथ मंदिर का इतिहास

पौराणिक कथाओ के अनुसार कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कराया था,राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने लगभग सन् 1078 से 1148 के बीच मंदिर बनवाया था| उसके बाद सन् 1197 में ओडिशा के शासक भीम देव ने जगन्नाथ मंदिर को वर्तमान रूप वाले मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में सन् 1448 से ही भक्त पूजा अर्चना करने जाते थे| फिर अफगान ने ओडिशा राज्य पर आक्रमण कर दिया था और उस आक्रमण में अफगान की सेना ने जगन्नाथ मंदिर में भगवान् जगन्नाथ की मूर्ति और मंदिर को ध्वस्त कर दिया था| उसके बाद राजा रामचंद्र देव ने खुर्दा को जीत कर अपने स्वतंत्र राज्य में स्थापित कर लिया और एक बार फिर से जगन्नाथ मंदिर और उसमे रखी मूर्तियो को प्रतिस्थापित करवाया,उसके बाद से जगन्नाथ मंदिर को भक्तो के लिए पुनः खोल दिया था|

जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा

जगन्नाथ पुरी मंदिर की रथयात्रा भारत के साथ साथ समूचे विश्व में प्रसिद्ध है। हर साल जून-जुलाई के महीने में जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में मंदिर के तीनों मुख्य भगवान अर्थात जगन्नाथ भगवान,उनके बड़े भाई बलभद्र(बलराम ) और बहन सुभद्रा तीनों के लिए अलग-अलग बहुत ही भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान किया जाता है,फिर उन्हें नगर यात्रा के लिए मंदिर से बाहर निकाला जाता है। प्राचीन समय से जगन्नाथ रथयात्रा निकालने का उत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है,जगन्नाथ यात्रा में निकाले जाने वाले रथो का निर्माण यात्रा से लगभग 4 महीने पहले शुरू हो जाता है,तीनो रथो को बहुत ही सुंदर और मंदिरो की तरह बनाया जाता है| जगन्नाथ यात्रा का महोत्सव पूरी में 10 दिनों तक मनाया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर के अद्भुत तथ्य

जगन्नाथ मंदिर में मौजूद कुछ विशेष और अद्भुत तथ्य दुनिया भर में प्रसिद्ध है,चलिए अब हम आपको जगन्नाथ मंदिर के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी उपलब्ध करते है-

1 – जगन्नाथ मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जगन्नाथ मंदिर के सबसे ऊपर एक झंडा लगा हुआ है जो हमेशा हवा की विपरीत दिशा में ही लहराता है। ऐसा बताया जाता है की प्राचीन काल से ही झंडा विपरीत दिशा में लहरा रहा है,ऐसा कयों होता है इसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाएं है,लेकिन मंदिर आने वाले सभी भक्तो के लिए यह सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक और रोचक बात है।

2 – जगन्नाथ मंदिर की दूसरी विशेषता है मंदिर के शीर्ष पर लगा हुआ सुदर्शन चक्र| सुदर्शन चक्र अष्टधातु का बना हुआ है,इस चक्र की खास बात यह है कि आप इस चक्र को मंदिर की किसी भी जगह से खड़े होकर देखेंगे तो यह आपको हमेशा अपने सामने ही दिखायी देता है,इसके पीछे का कारन आज तक किसी को नहीं पता है|

3 – मंदिर के ऊपर लगे झंडे को रोजाना शाम को बदला जाता है,झंडे बदलने की प्रक्रिया को देखने के लिए भरी भीड़ उमड़ पड़ती है क्योंकि जो इंसान झंडा बदलने जाता है वह सीधा चढ़ने की बजाय उल्टा चढ़कर झंडे को बदलता है,यह दृशय देखने लायक होता है|

4 – जग्गनाथ मंदिर में पुजारियों द्वारा प्रसादम को बनाने का तरीका भी अद्भुत और पारंपरिक होता है। आज भी प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता है,सभी बर्तनो में प्रसाद रख कर एक दूसरे के ऊपर रख कर लकड़ियो को जलाकर प्रसाद पकाया जाता है। सबसे पहले ऊपर के बर्तन का प्रसाद तैयार होता और अंत सबसे नीचे वाले बर्तन का प्रसाद पकता है।

5 – आमतौर पर आपने देखा होगा की समुद्री तटों पर हवा समुद्र से जमीन की तरफ चलती है लेकिन जगन्नाथ पुरी में हवा जमीन से समुद्र तट की दिशा में चलती है|

6 – जगन्नाथ मंदिर के गुंबद की छाया कभी किसी को दिखाई नहीं देती है, आज तक किसी भी इंसान ने गुंबद की छाया को कभी नहीं देखा है,सुनाने में शायद अजीब लगे पर यह सच है|

7 – जगन्नाथ मंदिर की एक सबसे बड़ी विशेषता और भी है, जगन्नाथ मंदिर के गुंबद के ऊपर से होकर कोई भी पक्षी और हवाई जहाज कभी नहीं गुजरता है,यह विशेषता इस बात को दर्शाती है की भगवान से ऊपर या बड़ा कुछ भी नहीं होता है।

8 – हिंदू धर्म में भोजन को बर्बाद करना भोजन का अपमान माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर की एक चमत्कार यह भी है की मंदिर में प्रसाद चाहे कम बने या ज्यादा वो कभी भी बर्बाद नहीं होता है अर्थात प्रसाद ना तो कभी कम पड़ता है और ना ही कभी बचता है|

जगन्नाथ मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय

बंगाल की खाड़ी के तट के पास होने की वजह से पुरी का मौसम समुद्र की वजह से प्रभावित होता है।पूरी की यात्रा करने के लिए अक्टूबर से अप्रैल तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है|

जगन्नाथ मंदिर कैसे जाएं 

अगर आप जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने का विचार बना रहे है और आप समझ नहीं पा रहे है की कैसे जाया जाएं तो हम आपकी मदद करने की कोशिश करते है| अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते है तो हम आपको बता दें,पूरी के लिए डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है इसलिए आपको फ्लाइट से भुवनेश्वर के बीजू पटनायक एयपोर्ट पर पहुँचना होगा,भुवनेश्वर पूरी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| भुवनेश्वर से आप बस, टैक्सी या कार बुक करके जगन्नाथ मंदिर तक पहुँच सकते है| अगर आप ट्रैन से जांना चाहते है तो कुछ शहरो से पूरी के लिए आपको सीधे ट्रैन मिल सकती है जैसे दिल्ली से पुरी, आगरा से पुरी और कोलकाता से पुरी| वरना आप ट्रेन से भुवनेश्वर पहुँच जाएं उसके बाद आप बस या टैक्सी से पूरी पहुँच सकते है| कुछ बड़े शहरो से पूरी के लिए सीधे बस भी चलती है या आप बस से भुवनेश्वर पहुँच कर फिर मंदिर जा सकते है|

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