मुकेश
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अभिनेता बनने मुंबई आये थे मुकेश, लेकिन बन गए मशहूर सिंगर

सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशयारी‘ फिल्म अनाड़ी के इस गाने से मशहूर हुए थे पार्श्व गायक मुकेश |  संगीत के दीवानों के लिए जहां वह एक तोहफ़ा थे, वही गायकी की दुनिया मे वह एक  नायाब  हीरा साबित हुए। अभिनेता बनने का सपना लिए मुंबई आये थे, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था। 22 जुलाई 1923 को लुधियाना के, जोरावर चंद माथुर और चाँद रानी के घर उनका जन्म हुआ था। मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। मुकेश जब छोटे थे, तब उनकी  बड़ी बहन संगीत की शिक्षा लेती थीं और मुकेश बड़े ध्यान से उन्हें सुना करते थे।  बड़ी बहन को गाते देखकर मुकेश के मन में संगीत के प्रति गहरी रूचि पैदा होने लगी। इसके बाद मुकेश ने मोतीलाल से  संगीत की पारंपरिक शिक्षा लेनी शुरू कर दी। लेकिन  संगीत में रूचि होने के बावजूद, मुकेश की  ख़्वाहिश हिन्दी फिल्मों  में बतौर अभिनेता काम करने की थी।  मुकेश कभी भी सिंगर नहीं बनना चाहते थे। मुकेश ने 10 वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगे। लेकिन उनका मन बार-बार बड़े पर्दे  की तरफ आकर्षित हो रहा था। अतः वह अभिनेता बनने का सपना लिए काम छोड़कर  मुंबई आ गए। यहां उन्होंने फिल्मों मे अभिनय करना शुरू किया । मुकेश को 1941 में रिलीज हुई फिल्म ‘निर्दोष’ मे बतौर एक्टर सिंगर पहला ब्रेक भी मिला। इस फिल्म में उनके साथ नलिनी जयवंत भी थी। लेकिन इस फिल्म में मुकेश के अभिनय को दर्शकों ने कोई खास पसंद नहीं किया, लेकिन उनकी आवाज़ ने हर किसी का दिल जीता। उन्होंने ‘माशूका‘, ‘आह‘, ‘अनुराग‘ और ‘दुल्हन‘ में भी बतौर ऐक्टर काम किया। लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली। जिसके बाद मुकेश ने गायन के क्षेत्र मे रुख किया।

 

मुकेश ने 1940 से 1976 के बीच सैकड़ों फिल्मों के लिए गीत गाए जो हिट रहे। इस क्षेत्र मे उन्हें अपार सफलता और दर्शकों का बे-शुमार प्यार मिला। मुकेश को 1941 में रिलीज हुई फिल्म ‘निर्दोष‘ मे बतौर सिंगर पहला ब्रेक मिला।  उस  जमाने के मशहूर गायक-अभिनेता  के एल सहगल ने, जब मुकेश की आवाज़ सुनी तो उन्हें मुकेश की आवाज़ बहुत पसंद आयी।  40 के दशक में मुकेश की अपना पार्श्व गायन शैली थी। इस दौर में नौशाद के साथ उनकी जुगलबंदी खूब जमी और ये जोड़ी एक के बाद एक सुपरहिट गाने दे रही थी। उस दौर में मुकेश की आवाज़ में सबसे ज्यादा  गीत, दिलीप कुमार पर फ़िल्माए  गये। 50 के दशक में मुकेश को  एक नयी पहचान मिली, जब उन्हें  राज कपूर की आवाज़ कहा जाने लगा। राज कपूर की कई फिल्मों में उन्होंने गीत गाये| जिसमें  ‘मेरा जूता है जापानी'(आवारा), किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार (अन्दाज), दोस्त दोस्त ना रहा ( संगम), जाने कहां गये वो दिन ( मेरा नाम जोकर), कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है ( कभी कभी) जैसे कई मशहूर गीत गाये, जो आज भी दर्शकों की ज़ुबान  पर है।

साल 1959 में मुकेश को राज कपूर अभिनित फिल्म ‘अनाड़ी’ के गाने ‘सब कुछ सीखा हमने’ के लिए पहली बार बेस्ट प्लेबैक सिंगर के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खास बात यह है कि, मुकेश फिल्म फेयर पुरस्कार पाने वाले पहले पुरुष गायक थे। मुकेश द्वारा गाया फिल्म अनाड़ी का यह गाना भी उस दौर में काफी मशहूर हुआ । इसके बाद मुकेश काफी मशहूर हो गये। हर कोई अपनी फिल्म में मुकेश से गाना गँवाना चाहता था। देखते-देखते मुकेश उस दौर के  हर बड़े फ़िल्मी सितारों की आवाज़ बन गये थे। साल 1970 में मुकेश को मनोज कुमार की फ़िल्म पहचान के गीत ‘सबसे बड़ा नादान वही है’ के लिए दूसरा फ़िल्म फेयर मिला और फिर 1972 में मनोज कुमार की ही फ़िल्म के गाने ‘जय बोलो बेईमान की जय बोलो’ के लिए उन्हें तीसरी बार फ़िल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इस दौर में  मुकेश को उस समय के सभी  दिग्गज संगीतकारों के साथ काम करने का मौका मिला।

मुकेश ने अपने पूरे करियर में  200 से ज्यादा फिल्मों को अपनी आवाज़ दी। साल 1974 में फ़िल्म रजनीगंधा के गाने ‘कई बार यूं भी देखा है’ के लिए मुकेश को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मुकेश ने अपने करियर का आखिरी गाना  राज कपूर द्वारा निर्देशित-निर्मित फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम‘ के लिए  गाया था। लेकिन, इस फिल्म की रिलीज से दो साल पहले ही 27 अगस्त 1978 को मुकेश का यूएस में एक स्टेज शो के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन की खबर ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। मुकेश आज बेशक हमारे बीच मौजूद नही है, लेकिन अपनी खूबसूरत आवाज़ और गायकी की बदौलत मुकेश आज भी दर्शकों के दिल मे जीवित है। भारतीय सिनेमा मे अपने गए हुए गीतों के लिए वह हमेशा याद किये जायेगे।

मुकेश की निजी जिंदगी की बात करे तो मुकेश को एक गुजराती लड़की सरला भा गई थी। वह उसी से शादी करना चाहते थे, लेकिन दोनों परिवार में इसका विरोध हुआ। उन्होंने दोनों परिवारों के तमाम बंधनों की परवाह न करते हुए ठीक अपने जन्मदिन के दिन 22 जुलाई 1946 को सरला के साथ शादी कर ली और अटूट बंधन में बंध गए। मुकेश और सरला के पांच बच्चे हुए जिनमे दो बेटे नितिन मुकेश और मोहनीश मुकेश एवं तीन बेटियां रीता, नलिनी (स्वर्गवासी), नम्रता है। मुकेश के पोते नील नितिन मुकेश एक फिल्म अभिनेता हैं।

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