भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है जिसे सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। हिन्दुओ के प्रमुख वेद ऋग्वेद के अनुसार सोमनाथ मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण चंद्रदेव ने ही कराया था। ऐसा माना जाता है श्री कृष्ण भगवान् ने इसी स्थान पर ही देह त्यागी थी| वर्तमान में स्थित सोमनाथ मंदिर का निर्माण लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था|
सोमनाथ मन्दिर का इतिहास
पौराणिक कथाओ के अनुसार चन्द्र देव ने आदिकाल में सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया था, फिर सन 649 में गुजरात के कुछ राजाओं ने आपस में मिलकर सोमनाथ मंदिर का दुबारा से निर्माण करवाया| फिर सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने सन 725 में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करके मंदिर को तोड़ दिया और मंदिर का खज़ाना भी लूट लिया। उसके बाद राजा नागभट्ट ने इस मंदिर का तीसरी बार निर्माण करवाया और काफी धन भी दान में दिया| धीरे धीरे मंदिर प्रसिद्ध होने लगा फिर महमूद गजनबी ने अपने सैनिको के साथ सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करके मंदिर के अंदर पूजा और अन्य कार्य कर रहे सभी लोगो को भी मौत के घाट उतार दिया और मंदिर का खजाना भी लूट कर ले गया| महमूद गजनबी के आक्रमण के बाद राजा भीमदेव और उनके बाद विजयेश्वर कुमार पाल एवं सौराष्ट्र के राजा खंगार ने सोमनाथ मंदिर को भव्य तरीके से बनाने में अहम् योगदान दिया। लेकिन एक बार फिर सन 1297 में सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने सोमनाथ मंदिर में मौजूद पवित्र शिवलिंग को तोड़ दिया और मंदिर को लूट लिया|
अंत में देश के आजाद होने के बाद वर्ष 1950 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया और उसमे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की प्राण प्रतिष्ठा भी कराई| सोमनाथ मंदिर में मौजूद सोने का घंटा लगभग दो सौ मन सोने का बना हुआ है, मंदिर के लगभग 56 खम्बों में हीरे जवारात भी जड़े हुए है| मंदिर में शिवलिंग की पूजा और अभिषेक करने के लिए फूल कश्मीर से और पूजा की सामग्री हरिद्वार से लाई जाती है|
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापना की कथा
हिन्दुओ के प्रसिद्ध पुराण शिव पुराण के अनुसार प्राचीन समय में राजा दक्ष थे,जिन्होंने अपनी सभी 27 कन्याओं का विवाह भगवान चंद्रदेव से कर दिया था। राजा दक्ष की सभी कन्याएं चंद्रदेव को अपने पति के रूप में पाकर बेहद खुश थीं। लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद चंद्रदेव अपनी सभी पत्नियों में से एक पत्नी रोहिणी के साथ अधिक समय बिताने लगे, इस वजह से चंद्रदेव की अन्य पत्नियां दुखी रहने लगी और एक दिन उन सभी ने अपना दुःख पिता दक्ष को बताया| पिता दक्ष ने चंद्रदेव को बहुत बार समझाया लेकिन बार बार समझाने के बाद भी चंद्रदेव पर कोई असर नहीं हुआ| फिर दक्ष ने क्रोधित होकर चंद्रदेव को क्षयग्रस्त होने श्राप दे दिया, श्राप के बाद चंद्रदेव की रौशनी कम होने लगी, कम रौशनी होने का असर प्रकृति पर भी पड़ने लगा| प्रकृति पर असर होता देख चंद्रदेव और अन्य सभी देवता चंद्रदेव के श्राप से मुक्ति पाने के लिए ब्रह्मा भगवान के पास पहुंचे, ब्रह्मा जी पूरी बात सुनने के बाद श्राप से मुक्ति का रास्ता बताया की चंद्रदेव को सोमनाथ में जाकर शिवलिंग की स्थापना करने के बाद महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप करके भगवान शिव को प्रसन्न करें, भगवान शिव ही श्राप से मुक्ति दिला सकते है| ब्रह्मा भगवान से श्राप से मुक्ति का मार्ग जानने के बाद चन्द्रदेव ने घोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया, भगवान शिव ने वरदान में चंद्रदेव को अमरत्व प्रदान किया। उसके बाद चंद्रदेव और अन्य सभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा की आप और माँ पार्वतीजी भी यहां पर सदा के लिए निवास करें। भगवान ने सभी देवताओ की प्रार्थना स्वीकार करते हुए भगवान शिव ज्योतर्लिंग के रूप में पार्वती मां के साथ सोमनाथ मंदिर में ही विराजमान हो गए| फिर कुछ समय बाद देवताओं ने सोमनाथ मंदिर में सोमनाथ कुंड की स्थापना भी कर दी,ऐसा कहा जाता है भगवान शिव और ब्रह्मा सोमनाथ कुंड में साक्षात निवास करते है| सोमनाथ कुंड में स्नान करने से इंसान को पापो से मुक्ति मिलने के साथ साथ असाध्य से असाध्य रोग से भी छुटकारा मिल जाता है|
सोमनाथ मंदिर का प्रसिद्ध लाइट एंड साउंड शो
अगर आप सोमनाथ मंदिर घूमने जा रहे है तो आपको मंदिर में रोजाना होने वाले लाइट और साउंड शो को जरूर देखना चाहिए| रोजाना शाम को 8 से 9 बजे तक साउंड और लाइट शो आयोजित करा जाता है,जिसमे आपको अमिताभ बच्चन की आवाज में सोमनाथ मंदिर का इतिहास के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी सुनने को मिलती है और इसके साथ साथ लाइट से उन सभी बातो का शानदार चित्रण भी दिखाया जाता है|
सोमनाथ जाने का उपयुक्त समय
सोमनाथ मंदिर आप सालभर में कभी भी जा सकते है लेकिन गर्मियों के मौसम में यहां का तापमान बहुत ज्यादा होता है,इसीलिए गर्मी के मौसम में ना जाएं तो बेहतर होगा| अगर आप सोमनाथ मंदिर जाने का विचार बना रहे है तो अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय सबसे उत्तम समय माना जाता है। अक्टूबर से लेकर मार्च तक के मौसम में सोमनाथ का वातावरण घूमने के हिसाब से बेहतर होता है|
सोमनाथ कैसे जाएं
अगर आप सोमनाथ ट्रैन से जाने का विचार बना रहे है तो सोमनाथ के लिए सीधे ट्रैन आपको मुश्किल से मिलेगी| लेकिन आपको सोमनाथ के नजदीक वेरावल स्टेशन के लिए काफी सारी ट्रैन प्राप्त हो जाएंगी,वेरावल स्टेशन से सोमनाथ लगभग 7 किमी दूर है| अगर आपके शहर से सोमनाथ जाने के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप जबलपुर जंक्शन,अहमदाबाद जंक्शन,राजकोट जंक्शन,ओखा और पोरबंदर पहुँच जाएं,इन सभी जगहों से आपको सोमनाथ के लिए आसानी से ट्रैन प्राप्त हो जाएगी| अगर आप हवाई यात्रा से सोमनाथ जाने का विचार बना रहे है तो हम आपको बता दें की सोमनाथ में कोई भी एयरपोर्ट नहीं है। फ्लाइट से जाने के लिए आप केशोद एयरपोर्ट पर पहुँच सकते है,केशोद एयरपोर्ट से सोमनाथ मंदिर की दुरी लगभग 55 किलोमीटर है। केशोद एयरपोर्ट्स से आप बस या टैक्सी के द्वारा सोमनाथ मंदिर जा सकते है। सोमनाथ जाने के लिए कई सारे राज्यो से सरकारी और निजी लग्जरी बसें, नॉन-एसी और एसी बसें सोमनाथ मंदिर के लिए विशेष रूप से चलती हैं।